अनुभव पहले जैसा बुर्दबार नहीं
पहले जैसा बेकस, बेक़रार नहीं
मुझको उसका अब इन्तेज़ार नहीं
वो तो दिखा गए सब रंग अपने
मैं भी पहले जैसा बफ़ादार नहीं
याद जो आती तो खुश हो जाता था
पहले जैसा मुझमें रहा ख़ुमार नहीं
छोड़ गए हैं साथ मेरा जिस दिन से
दिल का मिलता कोई खरीददार नहीं
कितने जान लुटाते फिरते हैं उन पर
क़ल्ब मेरा अब उसका उम्मीदवार नहीं
इससे बुरी क्या हालत होगी अब मेरी
जल्दी सोना लगता अब दुश्वार नहीं
सजा के रखे यादें मेरी भी दिल में
बचा कोई भी ऐसा पहरेदार नहीं
मौत तलाशे ढूंढे चारो ओर मुझे
रहूँ सलामत ऐसी चाहरदीवार नहीं
शर्म बची ही नहीं है अब मेरे अंदर
"अनुभव" पहले जैसा बुर्दबार नहीं
Awesome lines broooo
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