एक कप चाय❤️
मैं आसमाँ का भटकता परिंदा,
मुझको घर तक मेरे पहुंचा दो,
एक तेरा सहारा है *अनुभव*,
एक तेरा सहारा है *अनुभव*,
मुझको मंजिल से मेरी मिला दो.
टूटा हूँ कुछ मैं अंदर से ऐसे,
हौसला मेरा फिर तुम बढ़ा दो,
अपनी मंजिल भटकने लगा हूँ,
अपनी मंजिल भटकने लगा हूँ,
थाम उंगली मुझे तुम चला दो.
ग़म का मारा थका हारा हूँ मैं,
दिल को मेरे सुकूं तुम दिला दो,
आशिकी मुझको आती नहीं है,
आशिकी मुझको आती नहीं है,
तुम गले से लगाकर सिखा दो.
पास आने में शर्म-ओ-हया है,
ख्वाबों में ही मुझे तुम बुला लो,
बाहों में आना मुमकिन नहीं ग़र,
बाहों में आना मुमकिन नहीं ग़र,
एक कप चाय ही तुम पिला दो.
©अनुभव_मिश्रा❣️✍️
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